द्वितीयः समुल्लासः
द्वितीय-समुल्लास भाग्यवान् सन्तान गर्भाधान के पूर्व एवं पश्चात् के कर्त्तव्य उत्तम सन्तान होने की विधि जन्म समय और उसके पश्चात् के कर्त्तव्य पाँच वर्ष तक माता द्वारा शिक्षा पिता द्वारा प्रारम्भिक शिक्षा भूत-प्रेत शब्द का अर्थ उन्मादादि रोगों का भूत-प्रेतादि नाम धरना भूत-प्रेतादि के निवारणार्थ ढोंग ग्रह-शान्ति का ढोंग जन्म-पत्री-सम्बन्धी ढोंग शीतला-मन्त्र-तन्त्र-यन्त्र आदि का ढोंग वीर्य-रक्षा के लाभ, और वीर्यनाश से हानि माता-पिता तथा आचार्य से शिक्षा ग्रहण का काल सन्तानों के लाड़न में हानि तथा ताड़न में लाभ चोरी आदि के त्याग और सत्याचार-ग्रहण की शिक्षा अभिमान से हानि छल-कपट-कृतघ्नता से हानि सामान्य व्यवहार की शिक्षा धर्मयुक्त कर्म के ग्रहण और दुष्टकर्म के त्याग का उपदेश सन्तान के शत्रु माता-पिता के लक्षण उपसंहार (समु. २) अथ द्वितीयसमुल्लासारम्भः अथ शिक्षां प्रवक्ष्यामः सम्पूर्ण सत्यार्थप्रकाश Click now [इस समुल्लास में बाल-शिक्षा के विषय में लिखेंगे] [भाग्यवान् सन्तान] “मातृमान् पितृमानाचार्यवान्”, “आचार्यवान् पुरुषो वेद।” ये शतपथब्राह्मण [और छान्दोग्य उप०] के ...