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चतुर्थः समुल्लासः

चतुर्थ-समुल्लास गृहस्थाश्रम का अधिकारी विवाह-योग्य कन्या निकट विवाह में ८ दोष विवाह सम्बन्ध में अयोग्य कुल विवाह योग्य आयु और उसके भेद अल्पायु के विवाह का खण्डन १६वर्ष के बाद कन्या का विवाह कल्पित गौरी रोहिणी आदि संज्ञाओं का खण्डन लड़का-लड़की की प्रसन्नता से विवाह स्वयंवर विवाह ही उत्तम युवावस्था में विवाह करने में प्रमाण  वर्णव्यवस्था गुण-कर्म स्वभावानुसार  ब्राह्मण शरीर बनाने के साधन रजवीर्य योग से ब्राह्मण शरीर नहीं जन्म से वर्णव्यवस्था में दोष ‘ब्राह्मणोऽस्य’ मन्त्र का अर्थ मुखादि से ब्राह्मणादि वर्णों की उत्पत्ति नहीं वर्ण-परिवर्तन में प्रमाण वर्ण निश्चय का समय चारों वर्णों के कर्त्तव्य कर्म और गुण ब्राह्मण के गुण और कर्म क्षत्रिय के गुण और कर्म वैश्य के गुण और कर्म शूद्र के गुण और कर्म गुण-कर्म स्वभावानुसार वर्ण व्यवस्था के लाभ किस वर्ण को क्या अधिकार देना विवाह के आठ भेद और लक्षण विवाह से पूर्व का कार्य विवाह का स्थान विवाह एवं गर्भाधान गर्भकाल के कर्त्तव्य जातकर्म और पश्चात् के कर्त्तव्य गृहस्थी होते हुए भी ब्रह्मचारी स्त्री पुरुष परस्पर प्रसन्न रहें नारी सत्कार के योग्य पूजा श