पञ्चमः समुल्लासः
पञ्चम-समुल्लास वानप्रस्थ का काल वानप्रस्थ कैसे निर्वाह करे वानप्रस्थ के कर्त्तव्य संन्यास का काल संन्यास-ग्रहण के तीन पक्ष वेदों में संन्यास का विधान निरर्थक संन्यास संन्यासी के कर्त्तव्य संन्यासी किनका संग न करें संन्यास का फल त्रिविध एषणाओं का परित्याग संन्यासी का विशेष धर्म दश लक्षण-युक्त धर्म संन्यास-ग्रहण का अधिकार संन्यासाश्रम की आवश्यकता क्या संन्यासी कुछ भी कार्य न करे ? जीव और ब्रह्म एक नहीं संन्यासी का लक्षण संन्यासी का होना आवश्यक जन-लाभार्थ संन्यासी एकत्र अधिक भी ठहरे संन्यासी को धनादि का दान क्या श्राद्ध में संन्यासी का आना हानिकर है ब्रह्मचर्य से संन्यास लेने का अधिकारी सम्राट् और परिव्राट् की तुलना चारों आश्रमों के कर्त्तव्यों का संक्षेप से कथन वैरागी, गुसाईं आदि संन्यासी नहीं अथ पञ्चमसमुल्लासारम्भः अथ वानप्रस्थ-संन्यासविधिं वक्ष्यामः सम्पूर्ण सत्यार्थप्रकाश Click now [अब वानप्रस्थ और संन्यास-विधि का वर्णन करेंगे] [वानप्रस्थ का काल] ब्रह्मचर्याश्रमं समाप्य गृही भवेत् गृही भूत्वा वनी भवेद्वनी भूत्वा प्रव्रजेत्॥ शत॰ कां॰ १४॥ [तुलन...