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विशुद्ध मनुस्मृतिः― पञ्चम अध्याय

अथ पञ्चमोऽध्यायः सत्यार्थप्रकाश/विशुद्ध मनुस्मृति/वैदिक गीता Click now (हिन्दीभाष्य-'अनुशीलन'-समीक्षा सहित) (गृहस्थान्तर्गत-भक्ष्याभक्ष्य-देहशुद्धि-द्रव्यशुद्धि-स्त्रीधर्म विषय) (भक्ष्याभक्ष्य ५.१ से ५.५६ तक)   द्विजातियों के लिए अभक्ष्य पदार्थ― लशुनं गृञ्जनं चैव पलाण्डुं कवकानि च।  अभक्ष्याणि द्विजातीनाममेध्यप्रभवाणि च॥५॥ (१) लहसुन, सलगम, प्याज, कुकुरमुत्ता [छत्राक या कुम्हठा] और अशुद्ध स्थान में होने वाले सभी पदार्थ द्विजातियों और शूद्रों के लिये अभक्ष्य हैं॥५॥ अनिर्दशाया गोः क्षीरमौष्ट्रमैकशफं तथा।  आविकं सन्धिनीक्षीरं विवत्सायाश्च गोः पयः॥८॥ (२) ब्याई हुई गौ का पहले दश दिन का दूध ऊंटनी का दूध तथा एक खुर वाली घोड़ी आदि का दूध भेड़ का दूध सांड के संसर्ग को चाहने वाली गौ का दूध और जिसका बछड़ा या बछिया मर गई हो उस गौ के दूध को भी छोड़ देवे। ['वर्ज्यानि' क्रिया अग्रिम श्लोक में है]॥८॥   आरण्यानां च सर्वेषां मृगाणां माहिषं विना।  स्त्रीक्षीरं चैव वर्ज्यानि सर्वशुक्तानि चैव हि॥९॥ (३) भैंस के दूध को छोड़कर सब जंगली पशुओं का दूध और बालकों के लिए छोड़कर स्त्री का दूध तथा सब प